सौन्दर्यता : ऐततहाससक एवं समकालीन द्वन्द।
सौन्दर्यता : ऐततहाससक एवं समकालीन द्वन्द।- by Madhuri Singh, Lakshmibai College, DU
(Won best paper for session on Gender, Sexuality and Politics of Tradition)
ककसी ववद्वान ने कहा है कक beauty lies in the eyes of beholder र्ातन खूबसूरती देखने वाले कक नज़रों में
हैअर्ायत खूबसूरती अपने आप मे कुछ नही है । कहा जा सकता है कक देखने वाले कक नज़रों और हमारे
बीच का जो संबंध हैउन संदर्भों में ही हम सुंदरता को पररर्भावित कर सकते हैं। पर क्र्ा इस संदर्भय से
काट कर र्भीकोइ सावयर्भौसमक सुंदरता के प्रततमान गढ़ने की कोसिि की गई हैर्ा कोई हावी मान्र्ता र्ा
प्रततमान सौंदर्य और सौंदर्यता की एक मुख्र्धारा को पररर्भावित कर देता है जजससे कमोबेि हम सर्भी
अपने को तिरा पाते हैं।
नॉमी वुल्फ ने अपनी ककताब ‘इंटटमेंट बबहेववर्र ‘ में एक एक मटहला पर सौंदर्यता के पड़ने वाले
मनोवैज्ञातनक दबाव का वर्यन ककर्ा हैऔर सुंदरता के इस मनोवैज्ञातनक दबाव में मटहलाएं ककतनी
ऊजाय,समर् बबायद करती हैंऔर वह अपनी beauty को लेकर ककतना कॉजन्िर्स रहती हैं। नॉमी वुल्फ की
इस ककताब का सारांि मैंअपने िब्दों में व्र्ाख्र्ातर्त करना चाहूंगी ।
मेरा चेहरा कै सा है? ज्र्ादा गोल तो नही हैज्र्ादा लंबा तो नही है ।
मेरा रंग कै सा हैकहीं मेरा रंग बहुत ज्र्ादा र्भूरा तो नही टदख रहा है? मैंगोरी तो लग रही हूं न ?
मेरी स्कीन डल तो नही लग रही है?
Eye brow ज्र्ादा िनी तो नही है ? Eye brow को धनुि की िेप में रखना हैर्ा नोकीले रखना है ।
मैंजवान तो टदख रही हूं न ,कहीं cuteness कम तो नही है जजससे मेरा वजजयन लुक खराब हो जार्े ।
क्र्ा मैंज्र्ादा ही क्र्ूट तो नही लग रही हूं ,मेरी sexyness कम तो नही हो रही ।
मेरे स्तन बड़े ,अच्छे और तने हुए हैंकक नही ।
Hight कम है ।,ज्र्ादा है? पता नही । पर अगर मैंससर से िुरू करूूँ और मेरे पांव जमीन तक पहुंच
जाएं तो क्र्ा मैंठीक hight की हूूँ? र्ा मन मसोस कर रह जाऊं
बाल ज्र्ादा ही तो स्रेट नही है ? बाउंसी कम हैक्र्ा? बाल जो संवरते ही नही और संवारु र्भी तो कै से
,छोटे रखूं र्ा बड़े,रंग लूं तो ककस रंग में?
उफ्फ़ मेरी कमर । नागगन सी तो नही लहराती है ,र्ा गार् र्भसैं की तरह अजीब तो नही लगती है ,जीरो
कफगर है कक नही ,पेट बाहर तो नही है?
अगर आपका रंग खूबसूरती के तर् ककर्े गए प्रततमानों के अनुसार नही हैतो आप cream, skin
toner,compact powder, foundation का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आंखों में काजल,लाइनर,मिकारा, नकली पलकें लगा सकते हैं
होठों को रंगबबरंगी सलपजस्टक से सजा सकते हैं।
परंतुतब र्भी आपको लगता है कक आपकी िारीररक बनावट वैसी नही है जैसी सुंदरता के तर् ककर्े गए
प्रततमानों में होनी चाटहए और आपके पास पैसा र्भी हैतो आप स्र्ार्ी रूप से अपने िरीर मे कांट- छांट
करवा कर उसे सुंदरता के तर् ककर्े गए पैमानों के अनुसार तैर्ार कर सकते हैं
आंखों के सलए क्लेफरोप्लाजस्ट सजयरी
स्तन के सलए ब्रेस्ट सजयरी
सलवपनहेंसमेन्ट के सलए सैलोप्लास्टी सजयरी
र्ोतन के सलए लेबबर्ाप्लास्टी सजयरी । इत्र्ाटद
हमारी फै िन इंडस्री पर होने वाला कुल खचय 2.4 टरसलर्न $ हैऔर कॉस्मेटटक इंडस्री पर होने वाला
कुल खचय है532.43 बबसलर्न $ और इसी के इतर education industry पर होने वाला कुल खचय है4.4
टरसलर्न $ ।र्टद हम फै िन इंडस्री और कॉस्मेटटक इंडस्री पर होने वाले कुल खचय को जोड़ दे और
इसकी तुलना education industry पर होने वाले कुल खचय से करने तो िार्द तो िार्द र्ह आधा खचय
रहेगा । इसका मतलब हमारे सलए अंदरूनी व्र्जक्तत्व से ज्र्ादा बाहरी व्र्जक्तत्व का तनमायर् जरूरी है
और उसी के तनमायर् पर हम ज्र्ादा पैसा खचय करते हैं।
अब सवाल र्ह उठता है कक खूबसूरती के र्ह प्रततमान मानव जातत के िुरुआत से ही समाज मे मौजूद
र्े अर्वा क्रमिः र्े हमारे टदमाग का टहस्सा बने ।
मानव जातत के िुरुआती दौर में मानव कबबलाई समाज मे रहा करता र्ा जहां लोग समूहों में रह करते
र्े और सार् समल कर सिकार करते र्े । वहां स्वछंद र्ौतनक संबंध र्े । चूंकक एक मटहला अनेक पुरुिों
के सार् और एक पुरुि अनेक मटहलाओं के सार् र्ौन संबंध स्र्ावपत कर रहा हैइस कारर् र्ह पता
लगाना कटठन र्भी र्ा और जरूरत र्भी नही र्ी कक मटहलाओं से पैदा होने वाले बच्चे का बाप कौन है ?
परंतुजैसे जैसे तनजी संपवि का उदर्भव हुआ वैसे वैसे मटहलाओं की पुनरुत्पादन क्षमता का अगधतनकरर्
ककर्ा गर्ा और उनकी र्ौतनकता पर पुरुिों का एकागधकार स्र्ावपत हो गर्ा ।
चूंकक अब मटहला चारदीवारी के अंदर बंध गर्ी और अपने पतत तर्ा िर तक सीसमत हो गर्ी । अब एक
मटहला की पहचान उसके पतत से होने लगी । चूंकक वगीर् समाज का ववकास प्रकक्रर्ा में हैऔर
सामाजजक स्तरों का तनमायर् हो रहा है । और एक मटहला की पहचान र्भी उसके पतत से होगी और उसके
पतत का वगय उसका सामाजजक स्तर तर् करेगा ।एक पुरुि अपने सौंदर्यता के पैमानों के आधार पर एक
मटहला का चुनाव कर रहा हैर्ा उसे छांट रहा है । तो ऐसे में एक मटहला के पास खूबसूरती एक आधार
हैअपने से ऊपर के वगय में जाने का ।
Beauty -> status
(Woman) <- (men)
ववतनमर् संबंध (hypergemy)
जैसे जैसे हम स्वछंद र्ोन संबंध से वगीर् समाज मे आती हैंजहां चुना जाना र्ा ररजेक्ट हो जाना इस
पररपाटी का मूल मंत्र बन जाता है
मटहलाओं को पुरुिों की तनगाहों में अपनी सुंदरता को पररर्भावित करने की जरूरत महसूस हुई और वह
पुरुिों की नज़र में खुद को अच्छा टदखाने के सलए और ‘अगधक मटहला’और बाकी मटहलाओं से ज्र्ादा
खूबसूरत टदखने की होड़ िुरू हुई जजसे hyperfema कहा जाता है । बाहरी संस्कृतत का दबाव हमारी
अंदरूनी इच्छाओं का रूप लेने लग जाता है जजसे हम internalization कहते हैंऔर खूबसूरती और स्टेटस
के बीच का ववतनमर् संबंध इस संस्कृतत का केंद्रीर् आर्ाम बनता है ।
जब हम जीवनसार्ी ढूंढते हैंतो हम र्ह आिा करते हैंकक वो हमें समझने वाला हो ,careing हो ,उलफ़्तों
के इस दौर मव सार् देने वाला हो इत्र्ाटद इत्र्ाटद ।
परन्तुअमेररकी समाजिास्त्री एसलज़ाबेर् मैजक्लंटोंक ने अपनी 2014 में ककर्े अध्र्र्न में र्ह पार्ा कक
इस सब के इतर आज र्भी समाज ववतनमर् संबंध र्ानी hypergemy की गगरफ्त में जकड़ा हुआ है ।
के वल पुरुि मटहलाओं का वस्तुकरर् नही कर रहे हैंबजल्क मटहलाएं खुद self comodification स्व:
वस्तुकरर् कर रही हैं। लोगों की नज़रों में बने रहने की ख्वाटहि, लोगों की नज़रों से ततरस्कृत हो जाने
का डर उन्हें और तेज़ी से स्व:वस्तुकरर् की प्रकक्रर्ा में धके ल रहा है ।
सिला जैफरी ने अपनी ककताब beauty and misogeny में कहा कक असर्भजात वगय की मगगलाओं पर दबाव
है कक वह सुंदर टदखे ओर इस प्रततस्पधाय में आगे जाएं । बजल्क र्ह बाकी की मटहलाओं पर र्भी अपना
प्रर्भाव डालता हैऔर वह र्भी इस प्रततस्पधाय में प्रततस्पधी बनती हैंऔर इस होड़ में बाकी मटहलाओं से
आगे तनकलने के ई कोसिि में लगी रहती हैं। और उन मटहलाओं से अपनी तुलना करती हैंऔर खुद को
कम आंकती हैंऔर इस स्व: वस्तुकरर् की प्रततस्पधाय में ओर ज्र्ादा अपना वस्तुकरर् करती हैं। अतः
खूबसूरती का र्ह सामाजजक पार्दान ऊपर से ले कर नीचे तक बंटा हुआ हैऔर हर मटहला अपने से
ऊपर के पार्दान पर पहुंचने की कोसिि में लगी रहती है । अतः र्ह के वल वपतसृ िात्मक संस्कृतत नही
हैबजल्क र्ह एक वगीर् समाज की वपतसृ िात्मक संस्कृतत
(Won best paper for session on Gender, Sexuality and Politics of Tradition)
ककसी ववद्वान ने कहा है कक beauty lies in the eyes of beholder र्ातन खूबसूरती देखने वाले कक नज़रों में
हैअर्ायत खूबसूरती अपने आप मे कुछ नही है । कहा जा सकता है कक देखने वाले कक नज़रों और हमारे
बीच का जो संबंध हैउन संदर्भों में ही हम सुंदरता को पररर्भावित कर सकते हैं। पर क्र्ा इस संदर्भय से
काट कर र्भीकोइ सावयर्भौसमक सुंदरता के प्रततमान गढ़ने की कोसिि की गई हैर्ा कोई हावी मान्र्ता र्ा
प्रततमान सौंदर्य और सौंदर्यता की एक मुख्र्धारा को पररर्भावित कर देता है जजससे कमोबेि हम सर्भी
अपने को तिरा पाते हैं।
नॉमी वुल्फ ने अपनी ककताब ‘इंटटमेंट बबहेववर्र ‘ में एक एक मटहला पर सौंदर्यता के पड़ने वाले
मनोवैज्ञातनक दबाव का वर्यन ककर्ा हैऔर सुंदरता के इस मनोवैज्ञातनक दबाव में मटहलाएं ककतनी
ऊजाय,समर् बबायद करती हैंऔर वह अपनी beauty को लेकर ककतना कॉजन्िर्स रहती हैं। नॉमी वुल्फ की
इस ककताब का सारांि मैंअपने िब्दों में व्र्ाख्र्ातर्त करना चाहूंगी ।
मेरा चेहरा कै सा है? ज्र्ादा गोल तो नही हैज्र्ादा लंबा तो नही है ।
मेरा रंग कै सा हैकहीं मेरा रंग बहुत ज्र्ादा र्भूरा तो नही टदख रहा है? मैंगोरी तो लग रही हूं न ?
मेरी स्कीन डल तो नही लग रही है?
Eye brow ज्र्ादा िनी तो नही है ? Eye brow को धनुि की िेप में रखना हैर्ा नोकीले रखना है ।
मैंजवान तो टदख रही हूं न ,कहीं cuteness कम तो नही है जजससे मेरा वजजयन लुक खराब हो जार्े ।
क्र्ा मैंज्र्ादा ही क्र्ूट तो नही लग रही हूं ,मेरी sexyness कम तो नही हो रही ।
मेरे स्तन बड़े ,अच्छे और तने हुए हैंकक नही ।
Hight कम है ।,ज्र्ादा है? पता नही । पर अगर मैंससर से िुरू करूूँ और मेरे पांव जमीन तक पहुंच
जाएं तो क्र्ा मैंठीक hight की हूूँ? र्ा मन मसोस कर रह जाऊं
बाल ज्र्ादा ही तो स्रेट नही है ? बाउंसी कम हैक्र्ा? बाल जो संवरते ही नही और संवारु र्भी तो कै से
,छोटे रखूं र्ा बड़े,रंग लूं तो ककस रंग में?
उफ्फ़ मेरी कमर । नागगन सी तो नही लहराती है ,र्ा गार् र्भसैं की तरह अजीब तो नही लगती है ,जीरो
कफगर है कक नही ,पेट बाहर तो नही है?
अगर आपका रंग खूबसूरती के तर् ककर्े गए प्रततमानों के अनुसार नही हैतो आप cream, skin
toner,compact powder, foundation का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आंखों में काजल,लाइनर,मिकारा, नकली पलकें लगा सकते हैं
होठों को रंगबबरंगी सलपजस्टक से सजा सकते हैं।
परंतुतब र्भी आपको लगता है कक आपकी िारीररक बनावट वैसी नही है जैसी सुंदरता के तर् ककर्े गए
प्रततमानों में होनी चाटहए और आपके पास पैसा र्भी हैतो आप स्र्ार्ी रूप से अपने िरीर मे कांट- छांट
करवा कर उसे सुंदरता के तर् ककर्े गए पैमानों के अनुसार तैर्ार कर सकते हैं
आंखों के सलए क्लेफरोप्लाजस्ट सजयरी
स्तन के सलए ब्रेस्ट सजयरी
सलवपनहेंसमेन्ट के सलए सैलोप्लास्टी सजयरी
र्ोतन के सलए लेबबर्ाप्लास्टी सजयरी । इत्र्ाटद
हमारी फै िन इंडस्री पर होने वाला कुल खचय 2.4 टरसलर्न $ हैऔर कॉस्मेटटक इंडस्री पर होने वाला
कुल खचय है532.43 बबसलर्न $ और इसी के इतर education industry पर होने वाला कुल खचय है4.4
टरसलर्न $ ।र्टद हम फै िन इंडस्री और कॉस्मेटटक इंडस्री पर होने वाले कुल खचय को जोड़ दे और
इसकी तुलना education industry पर होने वाले कुल खचय से करने तो िार्द तो िार्द र्ह आधा खचय
रहेगा । इसका मतलब हमारे सलए अंदरूनी व्र्जक्तत्व से ज्र्ादा बाहरी व्र्जक्तत्व का तनमायर् जरूरी है
और उसी के तनमायर् पर हम ज्र्ादा पैसा खचय करते हैं।
अब सवाल र्ह उठता है कक खूबसूरती के र्ह प्रततमान मानव जातत के िुरुआत से ही समाज मे मौजूद
र्े अर्वा क्रमिः र्े हमारे टदमाग का टहस्सा बने ।
मानव जातत के िुरुआती दौर में मानव कबबलाई समाज मे रहा करता र्ा जहां लोग समूहों में रह करते
र्े और सार् समल कर सिकार करते र्े । वहां स्वछंद र्ौतनक संबंध र्े । चूंकक एक मटहला अनेक पुरुिों
के सार् और एक पुरुि अनेक मटहलाओं के सार् र्ौन संबंध स्र्ावपत कर रहा हैइस कारर् र्ह पता
लगाना कटठन र्भी र्ा और जरूरत र्भी नही र्ी कक मटहलाओं से पैदा होने वाले बच्चे का बाप कौन है ?
परंतुजैसे जैसे तनजी संपवि का उदर्भव हुआ वैसे वैसे मटहलाओं की पुनरुत्पादन क्षमता का अगधतनकरर्
ककर्ा गर्ा और उनकी र्ौतनकता पर पुरुिों का एकागधकार स्र्ावपत हो गर्ा ।
चूंकक अब मटहला चारदीवारी के अंदर बंध गर्ी और अपने पतत तर्ा िर तक सीसमत हो गर्ी । अब एक
मटहला की पहचान उसके पतत से होने लगी । चूंकक वगीर् समाज का ववकास प्रकक्रर्ा में हैऔर
सामाजजक स्तरों का तनमायर् हो रहा है । और एक मटहला की पहचान र्भी उसके पतत से होगी और उसके
पतत का वगय उसका सामाजजक स्तर तर् करेगा ।एक पुरुि अपने सौंदर्यता के पैमानों के आधार पर एक
मटहला का चुनाव कर रहा हैर्ा उसे छांट रहा है । तो ऐसे में एक मटहला के पास खूबसूरती एक आधार
हैअपने से ऊपर के वगय में जाने का ।
Beauty -> status
(Woman) <- (men)
ववतनमर् संबंध (hypergemy)
जैसे जैसे हम स्वछंद र्ोन संबंध से वगीर् समाज मे आती हैंजहां चुना जाना र्ा ररजेक्ट हो जाना इस
पररपाटी का मूल मंत्र बन जाता है
मटहलाओं को पुरुिों की तनगाहों में अपनी सुंदरता को पररर्भावित करने की जरूरत महसूस हुई और वह
पुरुिों की नज़र में खुद को अच्छा टदखाने के सलए और ‘अगधक मटहला’और बाकी मटहलाओं से ज्र्ादा
खूबसूरत टदखने की होड़ िुरू हुई जजसे hyperfema कहा जाता है । बाहरी संस्कृतत का दबाव हमारी
अंदरूनी इच्छाओं का रूप लेने लग जाता है जजसे हम internalization कहते हैंऔर खूबसूरती और स्टेटस
के बीच का ववतनमर् संबंध इस संस्कृतत का केंद्रीर् आर्ाम बनता है ।
जब हम जीवनसार्ी ढूंढते हैंतो हम र्ह आिा करते हैंकक वो हमें समझने वाला हो ,careing हो ,उलफ़्तों
के इस दौर मव सार् देने वाला हो इत्र्ाटद इत्र्ाटद ।
परन्तुअमेररकी समाजिास्त्री एसलज़ाबेर् मैजक्लंटोंक ने अपनी 2014 में ककर्े अध्र्र्न में र्ह पार्ा कक
इस सब के इतर आज र्भी समाज ववतनमर् संबंध र्ानी hypergemy की गगरफ्त में जकड़ा हुआ है ।
के वल पुरुि मटहलाओं का वस्तुकरर् नही कर रहे हैंबजल्क मटहलाएं खुद self comodification स्व:
वस्तुकरर् कर रही हैं। लोगों की नज़रों में बने रहने की ख्वाटहि, लोगों की नज़रों से ततरस्कृत हो जाने
का डर उन्हें और तेज़ी से स्व:वस्तुकरर् की प्रकक्रर्ा में धके ल रहा है ।
सिला जैफरी ने अपनी ककताब beauty and misogeny में कहा कक असर्भजात वगय की मगगलाओं पर दबाव
है कक वह सुंदर टदखे ओर इस प्रततस्पधाय में आगे जाएं । बजल्क र्ह बाकी की मटहलाओं पर र्भी अपना
प्रर्भाव डालता हैऔर वह र्भी इस प्रततस्पधाय में प्रततस्पधी बनती हैंऔर इस होड़ में बाकी मटहलाओं से
आगे तनकलने के ई कोसिि में लगी रहती हैं। और उन मटहलाओं से अपनी तुलना करती हैंऔर खुद को
कम आंकती हैंऔर इस स्व: वस्तुकरर् की प्रततस्पधाय में ओर ज्र्ादा अपना वस्तुकरर् करती हैं। अतः
खूबसूरती का र्ह सामाजजक पार्दान ऊपर से ले कर नीचे तक बंटा हुआ हैऔर हर मटहला अपने से
ऊपर के पार्दान पर पहुंचने की कोसिि में लगी रहती है । अतः र्ह के वल वपतसृ िात्मक संस्कृतत नही
हैबजल्क र्ह एक वगीर् समाज की वपतसृ िात्मक संस्कृतत
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